उपभोक्ता संरक्षण
 
उपभोक्ता आन्दोलन को गति प्रदान करने हेतु राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किये
गये हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
 
क्रम स.
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राज्य सरकार के प्रयास
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1.
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निर्धन/अक्षम उपभोक्ताओं के लिए विधिक सहायता योजना
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2.
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स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के सशक्तीकरण की योजना
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3.
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विधालयों में उपभोक्ता क्लबों का गठन
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4.
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राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष
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निर्धन/अक्षम उपभोक्ताओं के लिए विधिक सहायता योजना
उपभोक्ता संरक्षण कानून की सार्थकता निर्धन/अक्षम उपभोक्ता को इस कानून का लाभ प्रदान
करने में निहित है। वैधानिक रूप से वकील की अनिवार्यता नहीं होने के बावजूद उपभोक्ता
मामलों में वकील उपभोक्ता मंचों में उपस्थित हो रहे है। इन परिस्थितियों में ऐसे निर्धन/अक्षम
उपभोक्ता जो कि वकील का खर्च वहन करने में असमर्थ है, उन्हें नि:शुल्क विधिक सहायता
उपलब्ध करायी जा रही है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निर्धन/अक्षम उपभोक्ताओं के
लिये विधिक सहायता की एक योजना है। यह योजना राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रारम्भ
की जा चुकी है। जिले के एक चिन्हित स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन को इस योजना के लिये 10
हजार रूपये की राशि उपलब्ध करवा दी गयी है। इस राशि में से स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन
प्रत्येक प्रकरण के लिये अधिकतम रूप से 300/- रूपये की विधिक सहायता संबंधी वकील को
पारिश्रमिक एवं अन्य व्यय के लिए भुगतान करेगा। प्रकरण में निर्णय होने पर यदि निर्णय
उपभोक्ता के पक्ष में होता है तो उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति एवं वाद खर्च के रूप में
जो राशि अप्रार्थी से प्राप्त होगी उस राशि में से स्वैच्छिक संगठन अपने द्वारा व्यय
की गई राशि उपभोक्ता से प्राप्त कर रसीद देगें और इस प्रकार स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन
के पास इस योजना के मद में रिवोल्विंग फण्ड् बन सकेगा। स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन का
चयन जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समन्वय समिति द्वारा किये जाने
का प्रावधान है। राज्य के समस्त जिलों में यह योजना लागू की जा चुकी है।
स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के सशक्तीकरण की योजना
उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित जन जागृति के कार्यक्रमों में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका
बढाने हेतु उनका सशक्तिकरण किया जाना आवश्यक है। सभी जिला मुख्यालय में एक स्वैच्छिक
संगठन इस कार्य के लिए चिन्हित कर उसके सशक्तिकरण के लिए 50000 रूपये की राशि प्रदान
किये जाने की योजना राज्य् सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई है। इस योजना के लिए राज्य्
के सभी जिलों को प्रति जिला 50000 रूपये की राशि विभाग द्वारा भेजी जा चुकी है। इस
राशि से संगठन, कंप्यूटर (प्रिन्टर सहित) खरीद सकेगें तथा शेष राशि आई.ई.सी. मेटेरियल
तैयार करने में व्यय कर सकेगें। योजना के लिए स्वैच्छिक संगठन का चयन, उपभोक्ता क्लब
योजना के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समन्वय समिति द्वारा किये
जाने का प्रावधान है। स्वैच्छिक संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की मोनिटरिंग जिले
के जिला रसद अधिकारी द्वारा की जायेगी।
विधालयों में उपभोक्ता क्लबों का गठन
युवाओं एवं बच्चों में उपभोक्ता, संरक्षण के प्रति जागृति उत्पन्न( करने एवं शिक्षण
संस्थाओं के माध्यम से उपभोक्ता संरक्षण का प्रचार-प्रसार करने की दृष्टि से राज्य
के 500 राजकीय सीनियर सेकेण्डरी एवं सेकेण्डरी विधालयों का उपभोक्ता क्लब स्थापित करने
के लिए सत्र 2004-05 में चयन किया गया था। केन्द्र सरकार द्वारा प्रवर्तित इस योजना
के दूसरे चरण में राज्य के 500 राजकीय सीनियर सेकेण्डरी एवं सेकेण्डरी विधालयों का
चयन कर उपभोक्ता क्लब स्थापित किये गये है। इस प्रकार राज्य के 1000 राजकीय विधालयों
में उपभोक्ता क्लब स्थापित है। प्रथम एवं दितीय चरण में स्थापित उपभोक्ता क्लबों हेतु
भारत सरकार से 1.50 करोड की राशि प्राप्त हुई थी, जो उपभोक्ता क्लबों को आवंटित की
जा चुकी है।
ऐसे अनेक उदाहरण मिल रहे है, जिनमें क्लब के सदस्य (छात्र) उपभोक्ता अधिकारों के हनन
पर अपने माता पिता एवं अभिभावकों को उपभोक्ता अदालत में जाने के लिए प्रेरित कर रहे
है तथा उन्हें सजग उपभोक्ता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष
उपभोक्ता हितों के संरक्षण एवं संवर्धन तथा उपभोक्ता संरक्षण संबंधी कार्यक्रमों/योजनाओं
के लिए वित्तीय व्यवस्था उपलब्ध कराने के उद्देशय से राज्य में उपभोक्ता कल्याकण कोष
स्थापित किया गया है। इस कोष में भारत सरकार द्वारा 27.00 लाख रूपये का योगदान दिया
गया तथा इतनी ही राशि (27.00लाख) राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई। इस कोष का संचालन
विभाग की पंजीकृत संस्था 'उपभोक्ता कल्याण समिति, जयपुर' द्वारा किया जाता है। वित्त
विभाग की आई.डी.संख्या 20/13.03.2009 की पालना में राजस्थान उपभोक्ता कल्याण समिति
कोष से 27.50 करोड रूपये राज्य सरकार को स्थानांतरित (वित्त विभाग को दिनांक 29.04.2009)
किया जा चुका है।